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December 23, 2024 5:56 pm

December 23, 2024 5:56 pm

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J-K विधानसभा सत्र : NC ने पूरा किया अपना वादा, जम्मू-कश्मीर की जनता को दिया यह तोहफा

इस कदम की भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा और अन्य भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना की

श्रीनगर(मीर आफताब): जम्मू-कश्मीर विधानसभा के तीसरे दिन उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी द्वारा अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद हंगामा हुआ, जिसे विधानसभा में बहुमत से पारित कर दिया गया। इस कदम का विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कड़ा विरोध किया और सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब उपराज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का काम था, तो प्रस्ताव कैसे पेश किया गया।

विधानसभा की बैठक शुरू होने के तुरंत बाद सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में लिखा था कि यह विधानसभा विशेष और संवैधानिक गारंटी के महत्व की पुष्टि करती है, जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा की और एकतरफा हटाने पर चिंता व्यक्त की।

प्रस्ताव में आगे कहा गया कि यह सभा भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ विशेष दर्जा, संवैधानिक गारंटी की बहाली और इन प्रावधानों को बहाल करने के लिए संवैधानिक तंत्र तैयार करने के लिए बातचीत शुरू करने का आह्वान करती है। इसमें यह भी लिखा गया कि यह विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि बहाली की किसी भी प्रक्रिया में राष्ट्रीय एकता और जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं दोनों की रक्षा होनी चाहिए। इस प्रस्ताव का समर्थन वरिष्ठ एनसी नेता और स्वास्थ्य मंत्री सकीना इटू ने किया।

इस कदम की भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा और अन्य भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना की, जिन्होंने कामकाज में बदलाव पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब कामकाज एल.जी. के अभिभाषण पर चर्चा के बारे में था, तो प्रस्ताव कैसे?

वहीं निर्दलीय विधायक शेख खुर्शीद और शब्बीर कुल्ले, पीसी प्रमुख सज्जाद लोन के अलावा तीन पीडीपी विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा, जिसे बहुमत से पारित कर दिया गया। भाजपा ने सदन में विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिससे अध्यक्ष को सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया था और तत्कालीन राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था। एन.सी. ने अपने घोषणापत्र में राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा बहाल करने के लिए लड़ने का वादा किया था।

 

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