ब्लाॅक समिति चीका की चेयरपर्सन डिम्पल रानी के खिलाफ 27 नवम्बर को असंतुष्ट पार्षदों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा। खंड विकास एवं पंचायत विभाग के एक कर्मचारी सुभाष चंद के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए दोपहर 2.30 बजे का समय…
गुहला चीका : ब्लाॅक समिति चीका की चेयरपर्सन डिम्पल रानी के खिलाफ 27 नवम्बर को असंतुष्ट पार्षदों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा। खंड विकास एवं पंचायत विभाग के एक कर्मचारी सुभाष चंद के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए दोपहर 2.30 बजे का समय निर्धारित किया गया है, जिसके पीठासीन अधिकारी अतिरिक्त उपायुक्त कैथल दीपक बाबू लाल करवा होंगे।मालूम रहे कि कुछ दिन पहले ब्लाॅक समिति के 18 सदस्यों ने उपायुक्त कैथल को अविश्वास प्रस्ताव हेतु शपथ पत्र सौंपे थे, जिसके बाद उपायुक्त ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए 27 नवम्बर की तारीख तय की थी।
इस बीच असंतुष्ट सदस्यों का नेतृत्व कर रही एक महिला पार्षद ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनकी संख्या 19 है और वे कल दोपहर सीधे ही चुनाव स्थल पर पहुंचेंगे। उन्होंने दावा किया कि कल वर्तमान चेयरपर्सन डिम्पल का तख्ता पलट कर दिया जाएगा। नया चेयरपर्सन कौन होगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कल तो केवल डिम्पल को ही हटाना है और नया चेयरपर्सन चुनने के लिए जब नई तिथि निर्धारित होगी, उसका भी खुलासा कर दिया जाएगा। इस बीच भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि सभी सदस्य शिमला की वादियों की सैर कर रहे हैं, परंतु उन्हें एक जगह रखने की अपेक्षा 3 अलग-अलग गुटों में विभाजित कर रखा गया है। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि डिम्पल अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहेंगी या फिर बागियों की पौ बारह होगी?
ब्लॉक समिति चेयरपर्सन पर सभी वार्डों में समान कार्य न करने के आरोप
दूसरी ओर मतदान के पश्चात आने वाले परिणामों का हलके की राजनीति पर गहरा असर निकट भविष्य में देखने को मिलेगा। डिम्पल रानी 2 वर्ष पहले स्थानीय विधायक के विरोध के बावजूद ब्लॉक समिति की अध्यक्ष बनी थी और उस समय उनको जजपा व भाजपा का भी अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मिला था। चेयरमैन बनने के बाद सब कुछ ठीक-ठाक चला रहा था और लोकसभा के चुनाव में ब्लॉक समिति की अध्यक्ष भाजपा सरकार के साथ थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में अध्यक्ष के पति द्वारा कांग्रेस का समर्थन करने पर स्थानीय नेताओं ने इस मामले को तूल दे दिया। इसके साथ आरोप लगाए गए कि ब्लॉक समिति चेयरपर्सन सभी वार्डों में समान रूप से कार्य नहीं करती।
जिस समाज से चेयरपर्सन आती है उसकी नाराजगी मोल लेना पड़ेगा महंगा
राजनीतिक विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी वर्ग व आम लोगों का मानना है कि सच्चाई यह है कि भाजपा के स्थानीय नेता ब्लॉक समिति चेयरपर्सन को हटाकर यह प्रमाणित करना चाहते हैं कि उन्हीं के द्वारा हलके में भाजपा संचालित हो रही है। विकास कार्यों का तो मात्र बहाना बनाया जा रहा है। इससे पहले भी ब्लॉक समिति सीवन की प्रधान को हटा दिया गया है। लोगों का मानना है कि इससे पहले कभी किसी चेयरपर्सन को राजनीतिक आधार पर नहीं हटाया गया। अगर वर्तमान चेयरपर्सन को राजनीतिक आधार पर हटाया जाता है तो जिस समाज से चेयरपर्सन आती है उसकी नाराजगी मोल लेना किसी भी राजनीतिक नेता के लिए भविष्य में महंगा साबित हो सकता है। पिछली नगरपालिका चेयरपर्सन को भी स्थानीय भाजपा नेताओं ने परेशान किया। अविश्वास प्रस्ताव भी लाए गए, जिसका परिणाम यह हुआ कि गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को स्थानीय भाजपा नेताओं की नाराजगी महंगी पड़ी और पूरे कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में भाजपा का उम्मीदवार सबसे ज्यादा मतों से हारा।
सभी सदस्यों को साथ लेकर काम किया:चेयरपर्सन
वर्तमान चेयरपर्सन डिम्पल रानी का कहना है कि उन्होंने सभी सदस्यों को साथ लेकर काम किया है। उनकी किसी के साथ कोई नाराजगी नहीं है। कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं। मैंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया जो विवादित हो। जो लोग मुझे अस्थिर बनाना चाहते हैं, उनकी असलियत जनता के सामने है और इसका फैसला जनता ही करेगी।