Explore

Search

December 22, 2024 11:25 pm

December 22, 2024 11:25 pm

लेटेस्ट न्यूज़

हरियाणा में बंट जाएगा बीजेपी का वोट! लोग हैं खिलाफ: गुरनाम सिंह चढ़ूनी

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले अपना आंदोलन जारी रखते हुए किसान समूहों ने एक बार फिर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति अपना विरोध जताया है, जबकि किसान समूह इन मुद्दों व लंबित मांगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सिलसिलेवार तरीके से महापंचायत आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.

किसान आंदोलन का ‘हब’ था हरियाणा
हरियाणा 2020-21 में रद्द हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शनों का एक प्रमुख केंद्र था. यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आयोजित किया गया था. बाद में समूह में विभाजन हो गया और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का गठन किया गया. एसकेएम (गैर राजनीतिक), किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के साथ मिलकर पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर जारी विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है. ये दोनों ही समूह सत्तारूढ़ भाजपा के विरोधी हैं और उनकी मांगें एक जैसी हैं. एसकेएम (गैर राजनीतिक) के किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन का असर हाल के लोकसभा चुनाव में भी दिखाई दिया था और जो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, उनसे ग्रामीण इलाकों के लोगों को यह एहसास हुआ है कि उन्हें अपने मुद्दों के आधार पर वोट देना चाहिए. कोहाड़ ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को ग्रामीण इलाकों में हार का सामना करना पड़ा.  2020-21 के विरोध प्रदर्शनों और 13 फरवरी, 2024 को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने जागरूकता बढ़ाई है.  किसान और मजदूर उन मुद्दों पर मतदान कर रहे हैं जो उन्हें प्रभावित करते हैं.”

MSP है प्रमुख कारक
उन्होंने कहा, “न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना जैसे मुद्दे ग्रामीण हरियाणा में प्रमुख कारक हैं.” कोहाड़ ने यह भी कहा कि अग्निवीर योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के फंड में कटौती जैसे मुद्दे भी राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख हैं। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना जारी रहने के बीच कोहाड़ ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर किए गए “अत्याचार” को भुलाया नहीं गया है. उन्होंने कहा, “किसानों पर की गई हिंसा और अत्याचार लोगों के जेहन में ताजा हैं. वो इस चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएंगे.” एसकेएम-गैर राजनीतिक 15 सितंबर को जींद के उचाना मंडी में एक महापंचायत भी करेगा, जबकि 22 सितंबर को कुरुक्षेत्र के पीपली में एक महापंचायत होगी.

Leave a Comment

Read More

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
best business ideas in Hyderabad